महमूद गजनवी का आक्रमण देरा और थानेश्वर के युद्ध 1012 ई.
महमूद गजनवी ने सुना कि हिन्दुओं के लिए थानेवश्वर का वही स्थान है जो मुसलमानों के लिए मक्का का। उसने सुना कि वहां अथाह धन सम्पत्ति और बहुत सी देवमूर्तियां हैं जिनमें जगसोम की मूर्ति भी है जो सृष्टि की उत्पति के समय से है।
इस कारण वह धन लूटने और मंदिरों को तोड़ने रवाना हुआ । मार्ग में सतलज नदीं जहां पहाड़ों से निकलती है वहां देरा नाम का राज्य था और राम वहां का राजा था । देरा शायद आज का कांगड़ा जिले का देरा गोपीपुर या जुबल राज्य की राजधानी देवहरा है।
राजा राम की सेना ने बहुत बहादुरी दिखाई पर वह हार गई। मुहम्मद नाजिम कहता है कि यद्यपि महमूद जीत गया पर उसकी हानि हारने वालों से ज्यादा हुई।
थानेश्वर का युद्ध -
राजा जयपाल देव तोमर की सेना से महमूद का जो थानेश्वर में युद्ध हुआ उसके लिए मुस्लिम इतिहासकार उत्बी लिखता है कि इस युद्ध में हिन्दू काफिरों के रक्त से नदी का जल लाल हो गया और पीने योग्य नहीं रहा । यदि रात नहीं हो जाती तो उनमें से अधिकांश मार दिए जाते।
थानेश्वर में महमूद ने सारे मंदिर तोड़ अपार धन लूटा और जगसोम की मूर्ति को भी साथ ले गया ।
(सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध -डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ, पृष्ठ 48)
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