Monday 5 June 2017

रावल खुमाण द्वितीय, मेवाड़ (813-833 ई)

रावल खुमाण द्वितीय, मेवाड़ (813-833 ई)


मेवाड़ के रावल खुमाण का शौर्य ऐसा था, उसकी युद्धों में सफलता ऐसी रही की आने वाली शताब्दियों में राजस्थान में खुमाण को वीरता का परिचायक माना जाने लगा था।
यद्यपि इतिहास के अंधकार में हमें रावल खुमाण का अधिक वृतान्त नहीं मिलता परन्तु इतना निश्चित है कि खुमाण ने भारत के अनेक प्रान्तों के राजाओं की सम्मिलित सेना लेकर सिंध के अरब सूबेदार बशर के आक्रमण का सफलतापूर्वक सामना किया था ।


चित्तौड़ की राजधानी से अरबी मुसलमानों के आक्रमणों को रोकने के लिए जो नेतृत्व रावल बप्पा ने प्रदान किया था, रावण खुमाण ने उसका अच्छा अनुसरण किया । रावल खुमाण का साथ जिन भारतीय नरेशों ने दिया उनमें नागभट्ट प्रतिहार द्वितीय तथा गुवाक चौहान प्रथम प्रमुख हैं ।
(उदयपुर राज्य का इतिहास प्रथम-गै.ही. ओझा)

Sunday 4 June 2017

मामादेव चौहान (800 ई.)

मामादेव चौहान (800 ई.)



सांभर के चौहान राजकुल में माणकराव के पुत्र राव जीतराय का यह देशभक्त पुत्र था।
यह भीनमाल में रहता था और जब वहां अरबी मुसलमानों ने आक्रमण किए तब मामादेव चौहान ने अपना अपूर्व शौर्य बलिदान दिया ।

देश और धर्म की रक्षा के लिए आज भी जालौर और मेवाड़ के गावों में मामा के देवरे बनाकर उनकी पूजा की जाती है।
कुम्भलगढ़ में मामादेव का प्राचीन मंदिर आज भी इसकी साक्षी भर रहा है ।

जालौर के गावों में मामादेव के घोड़े बना कर लोग पूजा करते हैं ।
नैणसी री ख्यात प्रथम, पृष्ठ 236 में लिखा है कि करमा चौहान भी मामा खेजड़ा रूप से पूजा जाता है।
(रणबांकुरा-देवीसिंह मंडावा फरवरी 1991 ई.)

Saturday 3 June 2017

राजा नागभट्ट रघुवंशी प्रतिहार द्वितीय (793-833 ई.)

राजा नागभट्ट रघुवंशी प्रतिहार  द्वितीय (793-833 ई.)



भोज की ग्वालियर प्रशस्ति में लिखा है कि नागभट्ट ने अरब के मुसलमानों को हराया था। इतिहासकारों का विश्लेषण है कि शायद उसने खलीफा मामून के किसी सेनापति को हराया होगा जिसमें शाकम्भरी के चौहान राजा गुवक प्रथम, चित्तौड़ के खुम्माण गुहिल द्वितीय ने सहायता दी थी ।

(सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध - डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ, पृष्ठ 20)