Friday 6 February 2015

जलम लियौ जिण देश ।



जलम लियौ जिण देश मैं, भोग्यो चकवै राज ।
भूल्यां उण नै किम सरै, अबखी बेल्याँ आज ।।
‪#‎हठिलो‬ राजस्थान

गिरी-सुमेल

                                                             गिरी-सुमेल :-



बोल्यो सूरी बैंण यूँ, गिरी घाट घमसांण ।
मूठी खातर बाजरी, खो देतो हिन्दवाण ।।

हठिलो-राजस्थान

                                                 हठिलो-राजस्थान


काटण मारग अरि कटक, खाटक खङियो खेंट ।
हाटक थालां रींझ धण, भेज्यो माथो भेंट ।।

रणमल रणथम्भौर ।

रणमल रणथम्भौर :-


रण रमियाँ, रण रीति सूँ, रणमल रणथम्भौर ।
राख्यो हठ हमिर रौ, कट कट खागां कोर ।।

"हठिलो-राजस्थान"
आयुवानसिंह हुडिल

हर झाटै जौहर जठै




वो गढ़ नीचो किम झुकै, उँचों जस-गिर वास ।
हर झाटै जौहर जठै, हर भाटे इतिहास ।।

चंगो गढ़ चितौङ ।।

 चंगो गढ़ चितौङ ।।



बल बंकौ रण बंकङौ, सूर-सती सिर मौङ ।
प्रण बंकौ प्रबली धरा, चंगो गढ़ चितौङ ।।

देवलियाँ पग पग खङी

देवलियाँ पग पग खङी



देवलियाँ पग पग खङी, पग पग देव निवास ।
भूलोङा इतिहास रौ, गावै नित इतिहास ।।

मुण्ड कट्याँ भी रुण्ड लङै

मुण्ड कट्याँ भी रुण्ड लङै


मुण्ड कट्याँ भी रुण्ड लङै, खग बावै कर रीस ।
मग्ग दिखावै मोद सूँ, उर बंधियो धण-सीस ।।


मस्तक कट जाने के बाद भी उस वीर का कबन्ध क्रुद्ध होकर तलवार बजा रहा है ।
उसकी वीर पत्नी का कटा हुआ मस्तक, जो उसने गले में बाँध रखा है, उसे चाव से मार्ग दिखाता जा रहा है ।

सुरां खुब सतावियो, कुरा कीधो मोल ।

रण माचन्ता रौल ।



सुरां खुब सतावियो, कुरा कीधो मोल ।
ठीक पङैला ठाकरां, रण माचन्ता रौल ।।

हानै चमकै गोरबन्द, पग नेवर झणकार ।
पाछै झूमै कामिणी, ओटी राग मलार ।।

जौहर

जौहर


सुत गोदी ले धण खङी, जौहर झालां जोर ।
झालां हिङदै धव जलै, लाली नेणां कोर ।।

- आयुवानसिंह हुडील ।
    हठिलो-राजस्थान ।।