Tuesday 12 December 2017

बाईसा शब्द का अर्थ केवल बहिन कतई नहीं

बाईसा शब्द का अर्थ केवल बहिन कतई नहीं


आज कल एक दौर चल रहा है समाज में सुधार का । जहां तक बात वाकई सुधार कि हो तो प्रशंसनीय है लेकिन जब हम सुधार के नाम पर समाज के सांस्कृतिक मूल्यों को चुनौती देने लगें तो बेहद चिंताजनक है ।

चूंकि मैं पिछले तीन वर्ष तक शोसल मिडीया पर नहीं था इसलिए सामाजिक गतिविधियों का भी कम ही ध्यान रह पाता था ।

उसी दौरान गांव के एक भाई ने एक बार एक लेख पढाया जिसमें "बाईसा" शब्द का मतलब बहिन बताया गया था । मुझे वो थोडा़ अटपटा लगा क्योंकि बहिन के लिए तो हमारे समाज में जीजा व जीजीबाई शब्द हैं ।

मैने उस भाई को तो थोडा़ स्पष्ट कर दिया था लेकिन जब फेसबुक अकाउंट बनाया तो देखा कई भाईयों ने उस लेख को कॉपी पेस्ट कर रखा था बिना उसके भविष्य के दुष्परिणाम जाने ।


हालांकि उस लेख को लिखने वाले का उद्देश्य सही था कि बाईसा शब्द का प्रयोग सोशल मीडीया पर शायरीयों में, या अन्य किसी तरह कि फुहड़ टिप्पणी में नहीं किया जाना चाहिए लेकिन उस पर दिया गया तर्क गलत तो था ही भविष्य के लिए घातक भी ।

मैं आज इस लेख के माध्यम से सभी को बताना चाहता हूं कि हो सकता बाईसा शब्द का एक अर्थ बहिन भी हो लेकिन यह कहना कि बाईसा शब्द का अर्थ केवल बहिन ही है, कतई सही नहीं । चलो थोडा़ विस्तार से इसे समझने कि कोशिश करते हैं ।

मान लो आप अपने बडे़ भाई के ससुराल जाओ और किसी कारणवश आपको भाईसाहब के साली हुकम या उनके ससुराल पक्ष कि किसी अन्य बालिका से बात करनी हो तो आप क्या संबोधन करोगे ? जैसे यदि उनका नाम मूमल हो, तो क्या आप बोलोगे कि मूमल इधर आना ? आप उन्हें ये ही तो बोलेंगे कि मूमल बाईसा इधर आना । अब भविष्य में आपकी मूमल बाईसा से शादी भी हो सकती है, तो क्या वो बहिन भाई की शादी हुई ?

इसी तरह मान लो आप अपने काकोसा, बाबोसा के ससुराल जाओ और उस परिवार कि किसी बालिका को आपको संबोधन करना हो तो आप क्या संबोधन करोगे ? अब जरूरी तो नहीं उनका नाम आप जानते हों और यदि जानते भी हों तो भी केवल नाम से संबोधन ओछी बोली का प्रतिक है । सामान्य सी बात है आप यहां भी संबोधन में बाईसा ही बोलोगे । अब भविष्य में आपकी यदि उन बाईसा से शादी हो जाए, तो क्या ये बहिन भाई की शादी हुई ?

इसके अलावा वर्तमान समय में शहर में निवास करने वाले अमूमन परिवारों में सगाई के समय लड़के लड़की को वार्तालाप का अवसर दिया जाता है (यह गलत है या सही वो विषय नहीं है) । जब वार्तालाप आरंभ करना होता है तो आप उनसे यही संबोधन तो करोगे कि बाईसा आप क्या करते हो या बाईसा क्या पढा़ई की है आपने या एगेरह वगेरह जो भी वार्तालाप हो आप संबोधन बाईसा से ही तो करोगे ना । अब यदि बाईसा बहिन का ही प्रतिक है तो आप उन्हें ये क्यों नहीं बोलते कि जीजा आप क्या करते हो या क्या पढा़ई की है एगेरह वगेरह । क्या कोई अपने होने वाली पत्नी को बहिन का संबोधन प्रयोग करेगा ? क्या इस सोशल मिडीया के आने से पहले के लोग बेवकूफ थे ?

इसके अलावा आप अपने आप से आंकलन करें कि आप अपनी बहिन को जीजा/जीजीबाई बोलते हैं या बाईसा ? मैंने आज इस विषय पर लिखने से पहले अपने परिचित सैंकडो़ लोगों से इस विषय पर चर्चा की और मैंने पाया कि उनमें से एक भी अपनी बहिन को बाईसा नहीं बोलता । क्या आप बोलते हो ?

उस तरह के लेखों का एक बडा़ दुष्परिणाम यह है कि जब 200-500 वर्ष बाद कोई वामपंथी राजपूतो से द्वेषता के चलते इतिहास लिखने बैठेगा तो वो लिखेगा कि क्षत्रियों में तो बहिन भाईयों में रिश्ते होते थे । चूंकि वो उन लेखों का हवाला देगा (500 साल बाद नेट से ही तथ्य जुटाए जाएंगे) कि फलां सामाजिक विचारवान व्यक्ति के अनुसार बाईसा तो बहिन के लिए प्रयोग होता था और क्षत्रियों में कई शादीयां उस लड़की से भी हुई है जिसे पहले कभी उन्होंने बाईसा बोला हो । साथ ही पूर्व राजकुमारी दिया कुमारी व पूर्व विधायक रणवीर गुढा जैसे कई उदाहरण दे देकर प्रमाणित भी कर देगा । इसलिए निवेदन है आप स्वघौषित समाज सुधारक बनिए किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन स्वघौषित भाषाविद्द व इतिहासकार मत बनिए । साथ ही निवेदन है स्वघौषित बुद्दिजीवी बनकर इस समाज कि सांस्कृतिक विरासत को चूनोती ना दें ।

मैं अपने आप से ये सब नहीं लिख रहा हूं उस लेख को पढ़ने के बाद मैंने सर्वप्रथम इस विषय पर शिवराज सिंह जाखल से विचार विमर्श किया और विचारों के दौरान हमने महसुस किया कि "बाई" शब्द मातृशक्ति (female) का प्रतिक है और सा हमारी संस्कृती में सम्मान के लिए लगाया जाता है । चूंकि हम दोनों ही झुंझुनू आंचल से हैं तो वहां के गांवो में कई जातियों में मां व मासी को भी बाई बोलते हैं, कुछ जातियों में दादी को भी बाई बोलते हैं, और हमारे समाज में भी कई परिवारों में छोटी बहिन को लाड प्यार से बाई बोलते हैं । यानी बाई को केवल बहिन से जोड़ना हमें कहीं जायज नहीं लगा ।

इसके बाद मध्य जून 2017 में राजपुर शिवीर के दौरान मैंने सामाजिक विषयों के जानकार कृष्णवर्धन सिंह जी गुढा़ गौड़जी से इस विषय पर वार्तालाप किया तो उन्होंने भी इस विषय पर बहुत विस्तार से बात की जिसमें उन्होंने बताया कि जैसे राजस्थान में दादीसा को कई जगह "बाजी" तो कई जगह "बासा" बोलते हैं वैसे ही गुजरात में मां को "बा" बोलते हैं । हो सकता है ये "बा" बाई से ही निकला शब्द हो तथा जी व सा सम्मान में लगाया जाने लगा हो । साथ ही उन्होंने बताया कि गुजरात के क्षत्रिय बहिन के लिए "बेन" व बन्ना के लिए "बापू" शब्द का प्रयोग करते हैं लेकिन इस विषय कि गहरी जानकारी के लिए सवाई जी बाबोसा से मिल लेना वो बता देंगे क्योंकि हम तो केवल अंदाजा लगा रहे हैं वास्तविकता के लिए किसी इतिहासकार व भाषाविद्द से मिलना जरूरी है ।

इसके बाद 27 जून 2017 को मैं इतिहासकार सवाई सिंह जी धमोरा से मिला । उन्हें उस लेख के बारे में पुरा बताया तो पहले तो उन्होंने फटकार लगाई कि तूम लोग कुछ करते धरते हो नहीं और घर बैठे इस पर टीक टीक करके बन जाते हो ज्ञाता । फिर उन्होंने अपनी आदत अनुसार कई कहानियां सुनाई और उसी आधार पर इस विषय को समझाया । उन्होंने बताया कि बाईसा भी वैसा ही शब्द है जैसा कि बन्ना । बन्ना को आप भाई के लिए भी प्रयोग कर सकते हो तो जवांई के लिए भी, सगे संबंधियों के लिए भी तो देवर के लिए भी वैसे ही बाईसा शब्द को बहिन के लिए भी प्रयोग कर सकते हो तो साली के लिए भी, सगे संबंधियों कि बालिकाओं के लिए भी तो किसी अपरिचित बालिका के लिए भी । इनमें एक शब्द Male के लिए है तो दुसरा female के लिए । बाबोसा ने बताया कि गुजरात ही नहीं पाली कि तरफ भी मां को "बा" बोलते हैं, और उन्होंने बताया कि सिरसूं गांव के उनके एक साथी थे वो भी अपनी मां को "बाई" ही बोला करते थे । बाजी व बासा के बारे में बाबोसा से पुछने पर बाबोसा ने बाताया कि बाजी व बासा ही नहीं कई लोग दादीसा को बूजी भी बोलते हैं ।

इसके बाद मैं थोडा़ अध्ययन में व्यस्त हो गया व कुछ समय बाद बाबोसा का देहांत हो गया तो इस विषय में किसी से आगे बात नहीं की । उसके कुछ समय बाद 25 सितम्बर को कुछ स्वयंसेवको से मेरी पुन: इस विषय पर चर्चा हुई और उन्होंने जयपुर राजपरिवार के एक राजा द्वारा अपनी रानी को गलती से बाईसा बोला जाना व बाद में जीवन पर्यंत बहिन भाई का रिस्ता निभाना, ऐसी कोई कहानी सुनाई । तब मेरी जिज्ञासा पुन: बढ गई व इस विषय में जानने की कोशिश की ।

इसलिए 27 सितम्बर 2017 को मैं वरिष्ठ स्वयंसेवक महावीर सिंह जी सरवडी़ से मिला और उनसे इस विषय पर चर्चा कि । तब महावीर सिंह जी ने बताया कि बेटी के लिए, अपने से छोटी बहिन के लिए, नणद के लिए व दुसरे परिवारों कि बालिकाएं जिन्हें हम नहीं जानते उन्हें सम्मान देने के अर्थ में इस सुंदर शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है । उस लेख के बारे में महावीर सिंह जी को बताने पर उन्होंने कहा कि ये समाज है इसमें हर कोई ज्ञानवान है और शोसल मिडीया पर तो इतिहासकार व साहित्यकार भरे पडे़ हैं वो कुछ भी लिख सकते हैं वो नहीं जानते कि इससे वो समाज को कितनी क्षती पहूंचा रहे हैं ।

इसके बाद 27 सितम्बर 2017 को ही मैं सवाई सिंह जी बाबोसा के साथ काम कर चूके इतिहासकार व वरिष्ठ स्वयंसेवक छाजू सिंह जी बड़नगर से मिला और पुरा वर्तांत बताया तब उन्होंने कहा कि बाई शब्द सामान्य प्रयोग किया जाने वाला शब्द है इसका विशेष अर्थ निकालना मुर्खता है । इतिहास में नाचने गाने वाली महिलाओं के आगे भी बाई शब्द का प्रयोग किया गया है । साथ ही उन्होंने बताया कि भाषा में हर शब्द का अर्थ भाव के अनुसार होता है जिस कहानी कि आप बात कर रहे हो वो सही कहानी है लेकिन उसका कारण ये नहीं था कि उन्होंने बाई बोला बल्कि कारण ये था कि उनके मन में बाई बोलते समय भाव बहिन का था । इसके अलावा छाजू सिंह जी ने एक ही शब्द के भाव अनुसार अलग अलग अर्थ होने के कई उदाहरण देकर समझाया कि बाई का अर्थ केवल बहिन ही होता है ये कहना गलत है ।

अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि इस बाईसा जैसे सुंदर शब्द को हमने 10*10 के कमरे में बैठकर कैसे विवादीत बना दिया था । इसलिए आप सभी से निवेदन है जहां भी किसी भाई को बाईसा शब्द का प्रयोग प्रेमिका के लिए या फुहडता में करते देखें तो उन्हें टोकें जरूर लेकिन ये कहकर नहीं कि वो बहिन है बल्कि ये कहकर कि ये हमारी संस्कृती नहीं । वरना बाईसा को केवल बहिन से जोड़कर हम आधे क्षत्रिय जोडो़ को बहिन भाई घौषित कर देंगे ।

आप सभी विचारवान लोगों की प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ।

- कुंवर अवधेश शेखावत (धमोरा) एक_राही

5 comments

  1. ये लेख आप हमें gmail पर दे सकते है .?
    Mt82187@gmail.Com

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  2. सही और सटीक जानकारी

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  3. अच्छा काम किया आपने ये लिख कर

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  4. मुझे भी लगा था हमारी संस्कृति में शाक्त अनुयायियों में सात बहनें (देवियों) प्रावधान है. बाईसा शब्द का संबंध इससे होगा. अनुमान था. धन्यवाद लेख के लिए.

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  5. Banna baisa word keval rajput charan jaati ki ladies ko bulane me karte the.. charan jaati ki ladies ko rajput apni bahin maante the kisi bhi rajput ke liye charan ladki behen hoti hain jis karan se baisa word keval rajput charan ladies ko bulane me upiyog karte the or aap reserch kijiyega maine apne dadaji se yahi fact maaloom kiya hain... Example ke liye prithviraj rathore ke doho chhand me rajal devi ko baise keh kar bulaya hain.... Or bhi bahot se example hain

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