Tuesday 8 November 2016

कुँवर राजा मान सिंह आमेर का काबुल में अंतिम अभियान और पचरंगा ध्वज ।।

कुँवर राजा मान सिंह आमेर का काबुल में अंतिम अभियान और पचरंगा ध्वज ।।

कुँवर मानसिंह आमेर को काबुल के बाद बिहार का गवर्नर बनाया गया लेकिन काबुल से बिहार आने से पहले उन्हें दूसरा कार्य मिला वह था तारीकियों का पूर्ण विनाश ।
अगस्त 1587, में उन्होंने डर समन्द में (बंगश) जलाल तारीकी को बुरी तराह पराजित किया । जलाल तारीकी की हार से अफरीदी और ओरकजाई कबीलो ने भी आत्म समर्पण कर दिया । जलाल तारीकी हार के बाद अपने स्थानीय क्षेत्र से बंगश की और भाग गया ।
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मि. व्हीलर के अनुसार मानसिंह द्वारा जारी किये गए कुछ दिलचस्प नोटिस ब्लोक मैन ने एकत्रित किये थे । उनके आधार पर इस परिणाम पर पंहुचा जा सकता है की उनका शासन न्यायपूर्ण तथा बुद्धिमत्ता पूर्ण था ।
अपनी "हकीकत-ए-हिंदुस्तान" में लक्ष्मीनारायण का कथन है की जब मानसिंह सियालकोट के जागीरदार थे उन्होंने इसके पुराने दुर्ग की मरम्मत कराई और नगर के सौन्दर्ये में वृद्धि की ।

श्री हनुमान शर्मा ने अपनी पुस्तक "जयपुर के इतिहास" में लिखा है कि जयपुर पचरंगा ध्वज की डिजाइन मानसिंह ने बनायी थी, जब वह काबुल के गवर्नर थे । इससे पहले राज्य का ध्वज श्वेत रंग था । श्री हनुमान शर्मा आगे चलकर कहते है की जब मनोहारदास जो मानसिंह के एक अधिकारी था, उतर-पश्चिम सीमांत प्रदेश के अफगानों से लड़ रहा था, उसने लूट के माल के रूप में उनसे भिन्न भिन्न पांच रंगों के ध्वज प्राप्त किये थे । ये ध्वज नीले, पिले, लाल, हरे, और काले रंग के थे । मनोहरदास ने कुंवर को सुझाव दिया कि राज्य का ध्वज कई रंगों का होना चाहिये केवल श्वेत रंग का नहीं । इस सुझाव को शीघ्र स्वीकार कर लिया गया । उस समय से जयपुर राज्य का ध्वज पांच रंगों का हो गया । ये रंग है नीला, पिला, लाल, हरा, और काला ।।
श्री शर्मा के कथन के पीछे स्थानीय परम्परा है ! जयपुर के लोग इस कथन की पुष्टि करते हुए कहते है कि राज्य का पचरंगा झण्डा सबसे पहले कुँवर मानसिंह ने ही तैयार करवाया था ।

 इसके अतिरिक्त श्री पट्टाभिराम शास्त्री जो महाराजा संस्कृत कॉलेज जयपुर के प्रिंसिपिल थे ने अपने राजवँश महाकाव्य की भूमिका में इस तथ्य का उल्लेख किया है कि जयपुर के पचरंग ध्वज की कल्पना मानसिंह की थी ।।

साभार पुस्तक - राजा मानसिंह आमेर
लेखक- राजीव नयन प्रसाद (बिहार)

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