Saturday 5 November 2016

राजा मानसिंह आमेर- वृन्दावन गोविन्ददेवजी मन्दिर !

"राजा मानसिंह आमेर"
भूमिका- देवीसिंह महार साहब

विद्वान लेखक ने दसवें अध्याय में मानसिंह पर बंगाल के राधाकृष्ण सम्प्रदाय के प्रभाव होने का उल्लेख किया है । यह भी लिखा है की यह सम्प्रदाय उस समय बंगाल में बहुत प्रभावी था, जब सन 1587 ईस्वी में राजा मानसिंह बंगाल के सुबेदार बने, व इसी सम्प्रदाय के प्रभाव से सन 1590 ईस्वी में वृन्दावन में गोविन्ददेवजी के मन्दिर का निर्माण करवाया ।

जबकि लेखक ने स्वयं उपर्युक्त मन्दिर के शिलालेख के आधार पर लिखा है की यह मंदिर संवत 34 में अकबर के समय बनाया गया । अकबर का शासन संवत 1600 में था अतः शिलालेख के अनुसार सन 1572 ईस्वी में इस मन्दिर का निर्माण हुआ जब की मानसिंह 1587 ईस्वी में बंगाल गया था । सम्भवतया लेखक से यह त्रुटि जयपुर के पोथीखाना के अधिकारियो द्वारा दी गई गलत सूचना के कारण हुई ।

इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद प्रकाशित हुई पुस्तक "मान चरितावली" में भी यही त्रुटि हुई है, जिसका कारण उसी मन्दिर पर लिखे गए एक अन्य श्लोक का गलत अर्थ करना रहा है ।
अतः यह मान्यता सच्चाई से परे है की मानसिंह कभी भी किसी सम्प्रदाय विशेष के प्रभाव में रहे हो ।

राजपूत हमेशा अपने ही कुलदेवी, कुलदेवता व इष्ट के उपासक रहे है व सभी सम्प्रदायो का समान रूप से आदर करते रहे हैं । सन्तों का आदर करना उनकी दीर्घकालीन परम्परा का एक अंग रहा है । यदि मानसिंह के जीवन पर किसी सन्त का सर्वाधिक प्रभाव रहा है तो व थे दादूदयाल, जो रामभक्त थे ।।

सनातन धर्म रक्षक राजा मानसिंह आमेर स्मृति समारोह
29 जनवरी 2017
रविवार 1 बजे से ।
श्री राजपूत सभा भवन जयपुर
निवेदक- इतिहास शुद्धिकरण अभियान ।।

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