झिरमिर झिरमर मेवा बरसे !!
खंडेला के देव मंदिर की रक्षार्थ सुजाण सिंह छापोली के बलिदान की गौरव गाथाये शेखावाटी के जन मन में किस रूप से व्याप्त हैं द्रष्टव्य है -
खंडेला के देव मंदिर की रक्षार्थ सुजाण सिंह छापोली के बलिदान की गौरव गाथाये शेखावाटी के जन मन में किस रूप से व्याप्त हैं द्रष्टव्य है -
झिरमिर झिरमर मेवा बरसे मोरां छतरी छायी !
कुळ मैं है तो आव सुजाणा फौज देवरै आयी !!
कै न प्यारा छोरी -छोरा कै न प्यारी जोय !
सूजा नै प्यारो देवरो राम करै सो होय !!
सूजा नै प्यारो देवरो राम करै सो होय !!
सुजाण सिंह के साथ भोळिया नाई भी लड़ाई में था । लोक काव्य ने उसे भी अमर कर दिया -
सोनगिरि पर रह्डू चालै, कर कर के गुमराई !
सुजाण सिंह कै साथ लड़े, अरे भोळियो नाई !!
रे नाई का आछ्या मुंड्या, बिना पाछण मूँड़ !
धन थारी जाई न रै, धन थारी माई न !!
साभार - मदन सिंह शेखावत
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