उतर भट्ट किवाड़ भाटी :-
वि. सं. 1233 के करीब यवन सेना अनहलवाङ पर चढाई को चली ।
लोद्रवा के भाटी भोजदेव ने जिनकी पदवी "उत्तर भटट् किवाड़ भाटी" थी ।
ने यवनों के आक्रमण को रोकने के लिए अपने चाचा जैसलदेव को लिखा ।।
"भङ किवाड़ उतराद रा भाटी झेलण भार,
वचन रखा विजराज रो, समहर बांधा सार ।
वचन रखा विजराज रो, समहर बांधा सार ।
तोङा धङ तुकराण री, मोडां खान मगेज,
दाखै अनमी भोजदे, जादम करे न जेज" ।।
दाखै अनमी भोजदे, जादम करे न जेज" ।।
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