Sunday 8 January 2017

अमर सिंह राठौड़ नागौर


वीरवर राव अमरसिंह राठौङ की 404वीं जयंती

स्वाभिमान के प्रतीक, आत्मसम्मान व् आन बान की रक्षा करने वाले, दिल्ली की पतशाही को हिला कर रख देने वाले वीरवर राव अमरसिंह राठौर को 404वीं जयंती पर शत: शत: नमन।
राव अमरसिंहजी जोधपुर महाराजा के ज्येष्ठ पुत्र थे, पारिवारिक कारणों के चलते उनको युवराज पद से वंचित होना पड़ा। इस कारण रावजी ने अपने स्वाभिमान के साथ शाही दरबार मे अपनी सेना की सेवा दी। एक दिन काफी दिनों बाद अमरसिंह जी शाही दरबार मे उपस्थित हुए तो शाही दरबार लगा हुआ था और मुगल शासक शाहजंहा का साला सलावत खान जो दिल्ली का प्रधानमन्त्री था, उसने रावजी को अपशब्द कहे तो एक स्वाभिमानी राजपूत यह सहन नहीं कर सका और रावजी ने अपनी कटार निकाली और सलावत खान का वध कर दिया। अगले ही क्षण शाहजंहा पर तलवार से वार कर दिया, लेकिन पहले से सचेत शाहजंहा वंहा से भागने मे सफल हो गया। उनकी इस वीरता पर एक दोहा है :-

"उन मुख ते गगो कहियो, उत् कर गयी कटार।
वार कह नही पायो, जमदत्त हो गयी पर।।"

अर्थात - अमरसिंह जी काफी दिन बाद जब दरबार में आये तो सलावत खान ने उनको कहा की आप इतने दिन कंहा थे तब अमर सिंह जी ने उसको आँख दिखाई तो सलावत खान उनको 'गंवार' कहना चाह रहा था तब उसने 'ग' ही कहा था तभी अमरसिंह जी ने अपनी कटार बाहर निकाल ली और सलावत खान के 'वार' कहने से पहले ही कटार को सलावत के शरीर मे घोंप दी। और घोङे सहित आगरा के किले की दिवार से कुद कर बाहर आ गए।

✍ हिम्मत सिंह राजोद
साभार पुस्तक - "वीरवर राव अमरसिंह राठौङ"

1 comment

  1. ऐसी वीर गाथाएं जो बच्चे बच्चे की जुबान पर होनी चाहिए उनसे बड़े तक अनभिज्ञ हैं ।
    क्या इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं 😢

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