धरता पग धरती धुजे ।
धरता पग धर धुजती, दाकलता
दिकपाल ।जननी रजपुतानिया, थन
थी झाल बंबाल ।।
अर्थात:
अपने स्तनो से नि:सृत
अग्निकणो सा दुध पिलाकर वे राजपुतानिया ऐसे नाहर पुत्रो
को जन्म देती थी, जिनके पैरो की धमक से धरती
धुजती थी और जिनके दकालने से वीरहाक से दिशाऔ के दिगपाल कम्पायमान हो ऊठते थे।।
No comments
Post a comment