रायसिंह जी बिकानेर
रायसिंह बिकानेर उनके इस कारनामे की पुरे हिन्दुस्थान में चर्चा हुई थी । उन्होंने अहमदाबाद के नबाब अहमदशाह को ज़िंदा पकड़ लिया था । उनकी इस वीरता से खुस होकर महाराणा उदयसिंह ने प्रताप की बहन (जसमादे ) का विवाह उनके साथ किया।हालाँकि वे अकबर की तरफ से लड़े थे, उम्र में भी बड़े थे, लेकिन उन दिंनो वीरता देखी जाती थी ।
इस के पूर्व अटक की महान विजय में मानसिंह जी आमेर व् रायसिंह जी दोनों ससुरों जँवाई अपना कमाल दिखा चुके थे । इसी से खुस होकर अहमदाबाद विजय का ज़िम्मा उन्हें सौंपा था, जो उन्होंने इस बहादुरी से निभाया जिसकी इतिहास में मिसाल नहीं है ।
मुझे ऐसा लगता है, महाराणा
प्रताप ने उनके एक कारनामे को दोहराने का प्रयास किया था । रायसिंह बिकानेर ने एक
झटके मे हाथी का सिर दाँत सहित काट दिया था ।इस कारनामे को हल्दीघाटी में राणा
प्रताप ने दोहराने का प्रयास किया था, मानसिंह के हाथी पर
अपना घोडा कूदाया था जिसमे वे विफल हो गए और इस प्रयास में उनका घोडा जख्मी हो गया
और वे खुद युद्ध से बहार हो गए ।
अहमदावाद विजय ना होती तो चितोड़ को हमेसा अहमदावाद से खतरा था, पूर्व में चितोड़ वह सब भोग चूका था । अटक की विजय न
होती तो पश्चिम से भारत और तत्कालिन हिन्दुत्व पर बराबर प्रहार हो रहे थे । अटक के
प्रयास में बीरबल मारा जा चूका था, टोडरमल असफल हो चुका था,
हमे इतिहास को समग्र दृश्टिकोण से देखना चाहिए।
साभार - नाथुसिंह शेखावत ।
वीर होने के साथ साथ रायसिंहजी कलाप्रेमी भी थे एक बार अकबर ने उनको दक्षिण में भेज दीया तो वंंहा उनको एक फोग दीखाई दीया तो उनहोने कहा :-
ReplyDelete"तु संदेशी रूंकङो, मैं परदेशी लोग ।
म्हाने अकबर तेङिया, तु क्यों आयो फोग।।