चार
आदमी मिलकर कोई काम करे, यह
हमारी आदत नहीं । इसलिए हमारी इतनी दुर्दशा हो रही है । जो आज्ञापालन करना जानते हो,
वे ही आज्ञा देना भी जानते हैं ।पहले आदेशपालन
करना सीखो । इन पाश्चात्य जातियों में स्वाधीनता का भाव जैसा प्रबल है,
आदेशपालन करने का भाव भी वैसा ही प्रबल है । हम
सभी अपने आपको बङा समझते हैं, इससे
कोई काम नही बनता । महान उधम, महान
साहस, महावीर्य और सबसे
पहले आज्ञापालन - ये सब गुण व्यक्तिगत या जातिगत उन्नति के लिए एकमात्र उपाय हैं ।और,
ये गुण हममें हैं ही नहीं ।
- स्वामी
विवेकानन्द ।।
No comments
Post a comment