Wednesday 29 April 2020

कन्फ़्यूशियस ओर लाओत्से




कन्फ़्यूशियस लाओत्से से मिलने गया, कन्फ़्यूशियस चीन का प्रतिष्ठित विचारक था उसकी बहुत इज्जत थी, सम्राट तक खङे होकर कन्फ़्यूशियस को कहते थे बैठो कन्फ्युसीश ।

कन्फ़्यूशियस जब लाओत्से से मिलने गया उसकी झोपड़ी में तो लाओत्से बैठा था कन्फ़्यूशियस ने चारो तरफ देखा कि कहाँ बैठु लेकिन झौपङी तो एक समान थी उसमें कोई विशेष आसन नही था, लाओत्से ने कन्फ़्यूशियस से कहां बैठ जाओ झोपड़ी को कुछ फर्क नही पङेगा तुम कहाँ बैठे हो झोपड़ी तुम्हें नही देखने वाली ।

कन्फ़्यूशियस बैठ तो गया लाओत्से के कहने पर लेकिन वह लाओत्से क्या कह रहा है सुन नही पा रहे थे बङे बैचेन हो गये, लाओत्से ने फिर कन्फ़्यूशियस से कहाँ तुम तो बैठ गये हो मन को भी बैठा लो ।


कन्फ़्यूशियस वापस लौटा तो अपने शिष्यों से कहाँ कि कोई उस बुढे़ के पास मत जाना, वो खा जायेगा तुम्हें, वह आदमी नही सिंह है ।

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