Sunday 13 May 2018

देश के विभाजन के समय राजस्थान आने वाले शरणार्थी रायसिख और गाँधी जी द्वारा पाकिस्तान गये मुसलमान व मेवों को पुनः पुनर्वासित करवाना।

मेरी जीवन कथा - ठा. ओंकार सिंह बाबरा - 

देश के विभाजन के समय राजस्थान आने वाले शरणार्थी रायसिख और गाँधी जी द्वारा पाकिस्तान गये मुसलमान व मेवों को पुनः पुनर्वासित करवाना।


देश के विभाजन के समय उत्तर भारत में बड़े साम्प्रदायिक दंगे हुए थे, राजस्थान में सबसे अधिक दंगे अलवर और भरतपुर राज्यों में हुए। अलवर नगर में एक भी मुसलमान परिवार नहीं रहा, ग्रामीण क्षेत्र से भी अधिकांश मुसलमान और मेव या तो पाकिस्तान चले गये या दिल्ली के शरणार्थी कैम्पों में चले गये। तिजारा क्षेत्र के गाँवों में पंजाब से आये हुए शरणार्थियों को बसाया गया। अधिकांशत: वे शरणार्थी रायसिख थे, पंजाब में रायसिखों को आपराधिक जाति (क्रिमिनल ट्राइब) माना जाता था। इन लोगों ने तिजारा क्षेत्र में भी अपनी आपराधिक प्रवृत्ति जारी रखी। 

ये लोग पड़ोस के गाँवों से मवेशी चुरा लेते, चोरियाँ करते, नकबजनी करते और प्रतिरोध करने वालों का कत्ल तक कर देते, पुलिस इनसे तंग आ गई थी। इन लोगों के विरुद्ध गवाह भी गवाही देने से डरते थे अत: अपराधियों को दण्ड भी नहीं मिलता, इन लोगों के कारण कानून-व्यवस्था गड़बड़ाई हुई थी। इन लोगों को खेती के लिये जमीनें भी दी गयी थी, ये खेती भी करते और साथ में चोरियाँ भी करते, इनमें से अधिकांश अफीम और शराब की नशेबाजी से ग्रस्त थे।

राज्य सरकार ने इन लोगों को अन्य प्रान्तों में भेजने के लिये केन्द्र सरकार से पत्र-व्यवहार किया परन्तु कोई परिणाम नहीं निकला, दिल्ली से प्रधानमंत्री पं. नेहरू के परिवार की श्रीमती रामेश्वरी नेहरू बार-बार अलवर जिले के शरणार्थियों की देखभाल के लिये दौरा करती और पुलिस की आलोचना करती कि शरणार्थियों के साथ अनावश्यक कठोरता की जा रही है। वास्तव में रामेश्वरी नेहरू ने गाँधीजी के आदेश से ही यह कार्य शुरू किया था। 

क्योंकि गाँधीजी ने पाकिस्तान गये हुए और कैम्पों में रह रहे मुसलमान और मेवों को पुनः अपने गाँव में पुनर्वासित करवाया था और उनकी देखरेख के लिये रामेश्वरी नेहरू को दायित्व सौंपा था। इस कारण राज्य सरकार रामेश्वरी नेहरू के हस्तक्षेप को बर्दाश्त करने हेतु बाध्य थी। उस क्षेत्र की अन्य जातियाँ अहीर, जाट और गूजर रायसिखों की चोरियों से बहुत त्रस्त थी।

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