समाज सेवक और उनका पेट दर्द ।
यश पाने कि इच्छा का परित्याग वैसे तो साधारण मानव के वश कि बात ही नही है ।
और ऐसे व्यक्तित्व विरले ही होते है जग में जो यश पाने कि इच्छा का त्याग कर पाते है ।।
और ऐसे व्यक्तित्व विरले ही होते है जग में जो यश पाने कि इच्छा का त्याग कर पाते है ।।
लेकिन सदैव ऐसे लोगों का, ऐसे कर्मठ व्यक्तित्व का सदियों सदियों तक लोग यशोगान करते है ।।
तथाकथित - समाजसेवी, समाज सेवक, समाजहीत में सदैव तत्पर, सामाजिक लोग ।।
उपरोक्त लोगों कि समाज भावना बङी कच्ची व हाय तौबा वाली होती है और इस हाय तौबा का प्रत्यक्ष दर्शन उन खुद के द्वारा व उसके अद्धकच्चरे सीमित समय के फोलोवरस द्वारा समय समय पर उजागर कि जाती रहती है ।।
सभी समाजों में समय समय पर विपत्ति का प्रादुर्भाव होता है वह विपत्तियाँ कभी कभी बङी होती है जो सामूहिक प्रयास बिना खत्म नही हो सकती ।
कभी कभी अन्याय या अत्याचार बाहुबली लोगों द्वारा होता है समाजों पर जिसका विरोध सामूहिक ही संभव होता है ।।
कभी कभी अन्याय या अत्याचार बाहुबली लोगों द्वारा होता है समाजों पर जिसका विरोध सामूहिक ही संभव होता है ।।
कभी कभी तंत्र व सरकार भी ऐसे कुछ संकट समाजों के समक्ष ला खङे करते है जिसका समाधान समाज के प्रत्येक व्यक्ति कि ऊर्जा से ही संभव हो पाता है ।।
समय समय पर तराह तराह के अन्याय, अत्याचार और भावनाओं से खिलवाड़ समाजों का होता रहता है ।।
ऐसे समय में सामूहिक प्रयास से इन संकटों से निपटना पङता है और अंततः विजयश्री या अपना पलङा भारी होने के बाद साधारणतः आम जन मानस अपने अपने कार्यों में व्यस्त हो जाता है ।।
ऐसे समय में सामूहिक प्रयास से इन संकटों से निपटना पङता है और अंततः विजयश्री या अपना पलङा भारी होने के बाद साधारणतः आम जन मानस अपने अपने कार्यों में व्यस्त हो जाता है ।।
इसके बाद खेल शुरु होता है श्रेय लेने व समर्थकों द्वारा श्रेय देने कि होड़ का जो निरन्तर महिनों-महिनों से लेकर सालों सालों तक चलता रहता है ।
इन श्रेय लेने वालों के अनुसार हमारे गुरुजी या मठाधीश जी या लीडर साहब ने बहुत बङा अहसान कर दिया है समाज पर ।।
इन श्रेय लेने वालों के अनुसार हमारे गुरुजी या मठाधीश जी या लीडर साहब ने बहुत बङा अहसान कर दिया है समाज पर ।।
इन लीडर व उनके अनुयायी यह भुल जाते है कि समाज के असंख्य लोगों का किसी भी मूवमैंट को सफल बनाने में योगदान रहता है ।।
इन समाज सेवकों के पेट में बङा जल्दी व जोरों का दर्द उठ जाता है उनको श्रेय नही मिलने पर नाम नही होने पर ।।
फिर अपने पेट दर्द को जग जाहीर करने का ढिंढोरा पिटा जाता है गाँव-गाँव, गल्ली-गल्ली ।।
फिर अपने पेट दर्द को जग जाहीर करने का ढिंढोरा पिटा जाता है गाँव-गाँव, गल्ली-गल्ली ।।
यह लोग अपना प्रचार करने के लिये किसी भी हद तक चले जाते है ।
ऐसे चार, छः छपास वाले नेता तो नोट डाउन है,
जिनके पेट दर्द लगभग मूवमैंट कि शुरूआत से चलने लग जाता है ।
वह पुरे मूवमैंट में जवाईपना दिखाने से बाज नही आते और अंत में जूँवारी अच्छी नही मिलने को लेकर अपना दर्द जग जाहीर करते नजर आते है ।।
ऐसे चार, छः छपास वाले नेता तो नोट डाउन है,
जिनके पेट दर्द लगभग मूवमैंट कि शुरूआत से चलने लग जाता है ।
वह पुरे मूवमैंट में जवाईपना दिखाने से बाज नही आते और अंत में जूँवारी अच्छी नही मिलने को लेकर अपना दर्द जग जाहीर करते नजर आते है ।।
हाँ तो अपनी बात थी समाज सेवकों के पेट दर्द से संबंधित ।।
तो आप लोग समझ गये होंगे इनको पेट दर्द होने पर,
यह बंदर क्या क्या करतब दिखाते है ।।
यह बंदर क्या क्या करतब दिखाते है ।।
"बलवीर"