Wednesday 25 April 2018

राजमाता नाईकी देवी, पाटन गुजरात - मौहम्मद गौरी का आक्रमण और उसकी हार I

राजमाता नाईकी देवी, पाटन गुजरात - मौहम्मद गौरी का आक्रमण और उसकी हार I


१. राजा धरावर्ष परमार, आबू (1163-12 19 ई.) २. राजा कीर्तिपाल चौहान, जालैर (1161-1182 ई.) ३. राजा केल्हण चौहान, नाडोल (1 164-1 193 ई.) ४. कायंद्रा -कालिन्द्री, आबूका युद्ध (1 178 ई.)

गजनी के सुल्तान आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी का प्रथम प्रयास :- मौहम्मद गौरी ने डेरा इस्माइल खां के पास के गोमल दर्रे से मुल्तान और उच्च होकर गुजरात की राजधानी अन्हिलवाडा (नहरवाला) की ओर रूख किया। उसने पृथ्वीराज चौहान को तटस्थ रखने के लिये उसके पास दूत भेजा परन्तु पृथ्वीराज गुजरात के राजा मूलराज चालुक्य (सोलंकी) द्वितीय की सहायता करना चाहता था परमंत्री कदम्बवास ने उसे ऐसा करने नहीं दिया ।

मुस्लिम सेना ने किराडू (बाड़मेर) होकर नाडोल (मारवाड़) के चौहान राज्य पर अधिकार कर लिया । वह आगे बढ़ कर आबू के पास कालिन्द्री पहुंचा जहां नाडोल के राजा केल्हण चौहान, उसका छोटा भाई जालौर का राजा कीर्तीपाल तथा आबू का राजा धारावर्ष परमार ने उसका सामना किया। नैणसी की ख्यात भाग एक पृष्ठ 152 पर नैणसी कीर्तीपाल को महान राजपूत कहता है।

प्रबंध चिंतामणी के अनुसार इस राजपूत सेना का नेतृत्व गुजरात के बाल मूलराज सोलंकी द्वितीय की माता नाइकी देवी जी गोवा के राजा परमार्दिन की बेटी थी, ने किया था । घमासान युद्ध हुआ और भारी संख्या में तुकों का विनाश हुआ ।

प्रबंध कोष के अनुसार धारावर्ष ने मुस्लिम सेना को बिना रोके घाटी में प्रवेश करने दिया और उनके अन्दर आ जाने पर पीछे से रास्ता रोक कर आगे की तरफ से गुजरात के सोलंकी सेना को उन पर आक्रमण कराया । युद्ध में मोहम्मद गौरी हारा और घायल होकर गजनी लैट गया। इसके बाद फिर कभी वह गुजरात पर नहीं गया । इस विजय के स्मारक स्वरूप आबू के अचलेश्वर मंदिर में लौह स्तम्भ स्थापित किया गया जो अभी भी विद्यमान है ।
The Parmaras – Pratipal Bhatia, Page 176

गोर प्रदेश काबुल कंधार के पश्चिम में था । पहले यहां महायान बौद्ध रहते थे । (सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध - डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ, पृष्ठ 111 से 114)

No comments

Post a Comment