Monday 1 January 2018

भदानक (बयाना) के यदुवंशी राजपूतों द्वारा देश, धर्म रक्षा (1045-1454 ई.)

भदानक (बयाना) के यदुवंशी राजपूतों द्वारा देश, धर्म रक्षा (1045-1454 ई.)



राजस्थान के भदानक बयाना दुर्ग ने विदेशी मुस्लिम आक्रमणों का बहुत वीरता से सामना किया था। मथुरा के यदुवंशी महाराजा विजयराज ने यह दुर्ग बनवाया था। विजयराज रासो नामक ग्रंथ में इस राजा के पराक्रम का अच्छा वर्णन है ।
इसमें लिखा है कि महाराजा विजयपाल का 1045 ई. में बूबकशाह कंधारी से घमासान युद्ध हुआ । अन्त में बयाना दुर्ग में जौहर करके यदुवंशी वीरों ने आक्रमणकारियों का बहुत अच्छा सामना किया और मातृभूमि पर मर मिटे ।

महाराजा विजयपाल के बलिदान हो जाने पर बयाना दुर्ग मुसलमानों के अधिकार में चला गया । महाराज विजयपाल के बाद उनके पुत्र या पौत्र पृथ्वीपाल के पुत्र त्रिभुवनपाल ने फिर से अपनी शक्ति बढ़ा ली। 1133 ई. के लगभग उन्होंने त्रिभुवनगढ़ (तवनगढ़) का निर्माण पूरा कर लिया और एक योगी से आशीर्वाद भी प्राप्त किया ।
महाराजा त्रिभुवनपाल का राज्य दूर तक फैल गया और इनके पुत्र धर्मपाल ने धौलपुर दुर्ग बनाया । इसके बाद धर्मपाल ने बयाना के मुस्लिम शासक से युद्ध करके वीरगति पाई इस प्रकार तवनगढ़ और कुंवरगढ़ भी तुकों के हाथ चला गया ।

धर्मपाल के पुत्र कुंवरपाल द्वितीय ने रीवा में अपने ननिहाल जाकर शक्ति एकत्र की और पुन: बयाना को अपने अधिकार में कर लिया ।

1195-1996 ई. में मोहम्मद गौरी ने कुंवर पाल की शक्ति को तोड़ने के लिए गजनी और दिल्ली दोनों ओर से सेनाएँ भेजी। कुंवरपाल ने इसका सामना करने में निश्चित अन्त देख कर संधि कर ली और दुर्ग छोड़कर चम्बल नदी के पार सम्बलगढ़ के जंगलों मे यदुवंशीवाटी क्षेत्र बनाकर बयाना को पुनः प्राप्त करने का प्रयास करने लगा ।

कुछ समय बाद बहाउद्दीन तुगरिल की बयाना में मृत्यु हो गई और इस प्रकार अवसर देख कर, कुंवरपाल ने 1204-1211 ई. के मध्य बयाना का राज्य हस्तगत कर लिया इसके बाद पुनः दिल्ली सुल्तान इल्तुतमश ने बयाना पर आक्रमण किया ।

1346 ई. के लगभग महाराजा अर्जुनपालने मक्कन खाँ को मारकर सारे भू–भाग पर अधिकार कर लिया और कल्याणपुरी (करौली) नगर बसाया ।
आगे चलकर महाराजा पृथ्वीराज ने तवनगढ़ को पठान मुसलमान चरवानी अफगानों से लड़कर बचाया। 1454 ई. में मालवा के महमूद खिलजी ने महाराजा चन्द्रपाल पर करौली पर चढ़ाई की और करौली पर अधिकार कर लिया। महाराजा चन्द्रपाल के वंशजों ने अकबर के काल में करौली पर पुनः अधिकार किया ।

इस प्रकार 400 वर्षों तक यदुवंशीयों ने विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारियों से भारत की रक्षा की । अप्रतिम शौर्य और पराक्रम, देशाभिमान, देशधर्म रक्षा, भारत की भगवा और केसरिया कीर्ति पताका का प्रतीक ।

(सल्तनत काल में हिन्दू प्रतिरोध - डॉ. अशोक कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी की पीएच.डी. हेतु स्वीकृत शोध ग्रंथ, पृष्ठ 127, 128)

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