राजपूत क्षत्रिय शाही राजवंश
अपगणस्थान (अफगानिस्तान)
काबुल और जाबुल के राज्य
650-876 ई के मध्य इन दोनों भारतीय राज्यों ने अरब के मुसलमान आक्रमणकारियों का सफलता से सामना किया था । तक्षशिला महाविहार विश्वविद्यालय जो आब पाकिस्तान में इस्लामाबाद के पास है की देख-रेख ये ही दोनों राज्य किया करते थे ।
अरब के आक्रमणों में इन राज्यों का एक वीर सामन्त था जिसका नाम रणमल था । अपने द्वारा देश धर्म रक्षा में योग्य नेतृत्व, बहादुरी और शौर्य के किस्से पूरे अरब देश और मध्य एशिया में प्रसिद्ध हो गए थे ।
काबुल और जाबुल राज्य पर तिब्बत मूल का तुर्की शाही वंश का राजा लागातुर्मन जो शायद बौद्ध था, राज्य कर रहा था ।
850-865 ई के मध्य लागातुर्मन के कल्लार नाम के मंत्री ने राजा को पदच्युत करके हिन्दू शाही वंश का आरम्भ किया । कल्हण रचित राजतंरगिणी में जो कश्मीर का प्राचीन इतिहास है कल्लर के हिन्दू शाही वंश को क्षत्रिय राजपूत बताया गया है ।
870 ई में एक याकुब नाम के तुर्क डाकू ने कपट, मित्रद्रोह और धूर्तता द्वारा शाही वंश का काबुल और जाबुल से अधिकार समाप्त कर दिया । जाबुल राज्य तो समाप्त हो गया परन्तु काबुल का हिन्दू शाही वंश अपनी नई राजधानी उदभाण्डपुर से शासन करने लगा । इस वंश ने 60 वर्ष 4 पिढी़ तक लगातार देश धर्म की रक्षा की ।
962-63 ई में खुरासान के सुबेदार अलप्तगीन गजनी के सुल्तान अबू लवीक को हटाकर स्वयं गजनी का सुल्तान बन गया । यहां से गजनवी वंश की शुरुआत हुई ।
अपगणस्थान (अफगानिस्तान)
काबुल और जाबुल के राज्य
650-876 ई के मध्य इन दोनों भारतीय राज्यों ने अरब के मुसलमान आक्रमणकारियों का सफलता से सामना किया था । तक्षशिला महाविहार विश्वविद्यालय जो आब पाकिस्तान में इस्लामाबाद के पास है की देख-रेख ये ही दोनों राज्य किया करते थे ।
अरब के आक्रमणों में इन राज्यों का एक वीर सामन्त था जिसका नाम रणमल था । अपने द्वारा देश धर्म रक्षा में योग्य नेतृत्व, बहादुरी और शौर्य के किस्से पूरे अरब देश और मध्य एशिया में प्रसिद्ध हो गए थे ।
काबुल और जाबुल राज्य पर तिब्बत मूल का तुर्की शाही वंश का राजा लागातुर्मन जो शायद बौद्ध था, राज्य कर रहा था ।
850-865 ई के मध्य लागातुर्मन के कल्लार नाम के मंत्री ने राजा को पदच्युत करके हिन्दू शाही वंश का आरम्भ किया । कल्हण रचित राजतंरगिणी में जो कश्मीर का प्राचीन इतिहास है कल्लर के हिन्दू शाही वंश को क्षत्रिय राजपूत बताया गया है ।
870 ई में एक याकुब नाम के तुर्क डाकू ने कपट, मित्रद्रोह और धूर्तता द्वारा शाही वंश का काबुल और जाबुल से अधिकार समाप्त कर दिया । जाबुल राज्य तो समाप्त हो गया परन्तु काबुल का हिन्दू शाही वंश अपनी नई राजधानी उदभाण्डपुर से शासन करने लगा । इस वंश ने 60 वर्ष 4 पिढी़ तक लगातार देश धर्म की रक्षा की ।
962-63 ई में खुरासान के सुबेदार अलप्तगीन गजनी के सुल्तान अबू लवीक को हटाकर स्वयं गजनी का सुल्तान बन गया । यहां से गजनवी वंश की शुरुआत हुई ।
जय राजपूताना ...
ReplyDeleteSale randiput ye sahi Hindu rajvansh ek gurjar rajvans h jinaka gotra khatana h .
ReplyDeletePhale itihas padho itihas choro