मामादेव चौहान (800 ई.)
सांभर के चौहान राजकुल में माणकराव के पुत्र राव जीतराय का यह देशभक्त पुत्र था।
यह भीनमाल में रहता था और जब वहां अरबी मुसलमानों ने आक्रमण किए तब मामादेव चौहान ने अपना अपूर्व शौर्य बलिदान दिया ।
देश और धर्म की रक्षा के लिए आज भी जालौर और मेवाड़ के गावों में मामा के देवरे बनाकर उनकी पूजा की जाती है।
कुम्भलगढ़ में मामादेव का प्राचीन मंदिर आज भी इसकी साक्षी भर रहा है ।
जालौर के गावों में मामादेव के घोड़े बना कर लोग पूजा करते हैं ।
नैणसी री ख्यात प्रथम, पृष्ठ 236 में लिखा है कि करमा चौहान भी मामा खेजड़ा रूप से पूजा जाता है।
(रणबांकुरा-देवीसिंह मंडावा फरवरी 1991 ई.)
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