सनातन धर्म रक्षक राजा मानसिंह आमेर का स्मृति समारोह
सनातन धर्म रक्षक राजा मानसिंह आमेर का स्मृति समारोह जैसे जैसे नजदीक आ रहा है कुकुरमूतों की बौखलाहट बढ रही है ।
स्वाभिमान, धर्म रक्षार्थ संघर्ष इनके समझ से परे है खुद भाजपा, कांग्रेस के यहाँ चाहे उम्र भर से दरी बिछा रहे है पर बाते बङी बङी ।
इनकी नजर में एक व्यक्तित्व महान है तो दुसरा कोई हो नही सकता ।
खैर यह सब मानसिक विकलांगता इसलिए है क्योंकि वह सुनी सुनाई बातों को बङी जोर जोर से प्रचारित करते है उनके लिये नई शोध पूर्ण जानकारी को पचा पाना मुश्किल है ।।
एक कायस्थ राजीव नयन प्रसाद जो भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के पुत्र थे ने लगातार शोध कर "राजा मानसिंह आमेर" पुस्तक लिखी, इस पुस्तक में लेखक ने सनातन धर्म रक्षक राजा मानसिंह आमेर के संपूर्ण जीवन का वर्णन किया है । उनकी काबुल से कन्याकुमारी तक की विजय और संघर्ष कि गाथा है, कैसे उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी विजय हासिल की ।।
सबसे बङी बात समकालीन कवियों और लेखकों ने, यहाँ तक कि मुस्लिम सरदारों ने भी माना कि राजा मानसिंह आमेर सनातन धर्म रक्षक है और वह इस्लाम को भारत में फलने फुलने कि संभावना को सदा के लिये खत्म कर देते है, इस विषय पर बिना पढे़ जाने बक बक करना मानसिक दिवालियापन ही है ।।
लेखक राजीव नयन प्रसाद ने पुस्तक राजा मानसिंह आमेर में लिखा है कि काबुल में स्थित वह पाँच राज्य जहाँ हथियार बनते थे और वह हथियार भारत पर आक्रमण करने वाले आक्रान्ताओं को मुफ्त में देते थे और इसके बदले भारत से लुट के माल का हिस्सा लेते थे ।
मोहम्मद बिन कासिम से लेकर राजा मानसिंह आमेर के काबुल अभियान से पहले तक लगातार पठानों ने भारत पर आक्रमण कर मन्दिर लूटे और लोंगों को लुटा ।
एक समय जो भारत ईरान तक अपना केशरिया फहराता था धीरे धीरे backfoot पर आता रहा। हमारी स्थिति यह हो गई कि हम हमारे ही राज्य में हमारे घर किलों में कैद हो जाते थे जब यह बाहरी आक्रमणकारी आते थे हमारी माता बहिनों को जौहर करना पङता और हम केसरियाँ कर अमर हो जाते। इन सब के परिणाम यह होते कि हमारे जौहर व केसरिया करने के बाद आक्रान्ता हमारे राज्य को लूट कर कत्ले आम करते ।
राजा मानसिंह आमेर पहले राजा हुवै जिन्होंने इस बात को जाना कि भारत को इस्लामीकरण से बचाना है तो हमें काबुल में स्थिति उन पाँच राज्यों को तबाह करना पङेगा जहाँ हथियार के बङी संख्या में कारखाने है ।।
हमारी स्थिति उस समय यह थी कि हम हमारे घर में दुश्मन को नही परास्त कर पाते थे। पठान पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उङीसा तक पहुंच चुके थे। इस विषम परिस्थिति में मुगलों के साथ गठबंधन करके राजा मानसिंह आमेर ने Defensive policy को खत्म कर दुश्मन के विरुद्ध Aggressive policyy अपनाई और खैबर के दर्रे हो चाहे काबुल के पाँच राज्य सबको नेस्तनाबूद कर दिया ।।
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एक अन्तिम बात दुनिया में लोग अपने माँ बाप के लात मारने वाले भी पैदा होते है उनसे पूर्वजों के सम्मान कि कल्पना कोरी है इसलिए सकारात्मक मानसिकता के भाईयों से निवेदन है किचङ से दुर रहे ।।
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बलवीर राठौड़ डढे़ल-डीडवाना
*संदर्भ*
राजा मानसिंह आमेर स्मृति समारोह
29 जनवरी 2017
जयपुर ।
राजपूत इतिहास से अवगत करवाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, हम सदा आपके आभारी रहेंगे।
ReplyDeleteआपसे निवेदन है कि तँवर वंश के इतिहास के बारे में भी लिखे ।
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