Thursday 21 September 2017

राजा रायसल पुत्र लाडखान

राजा रायसल के बड़े लड़के लाडखान जी ने बदले की भावना पर काबू कर पारिवारिक कलह नही होने दी -

                     
                       
                                                        एक वाकिया ।

१५९६ ई में भयंकर अकाल पड़ा, राजा रायसल के पुत्र भोजराज खंडेला में रहकर राज्य व्यवस्था देख रहे थे। इस दुर्भिक्ष में उन्होंने प्रजा के लिये राज्य के अनभंडार खोल दिये। इस से आक्रोशित हो कर उन के सबसे बड़े भाई लाड खान जी के पुत्रों ने  जो की बहुत उदंड थे व अपने आप को खंडेला के भावी शासक समझते थे ने अपने काका भोजराजी को से इस बात को लेकर अपशब्द कहे व  झगड़ा किया जिस में लाडखान जी का लड़का कल्याण सिंह मरा गया।

इस संबंध में प्रसिद्ध है -
"भोज भगर कै कारणे मारयो भंवर कल्याण"

तब तो उसके भाई माधो सिंह आदि भोजराज जी को मारने के लिए उद्धत हुए। यह देख कर लाडखान जी भी युद्ध के लिए तैयार होने लगे।

यह देख कर उन के पुत्र माधो सिंह ने कहा की पिताजी आप को चलने की जरूरत नही है यह बदला तो हम लोग ही लेलेंगे।

तब लाडखान जी ने कहा की मैं तुम्हारे पक्ष में नही अपने भाई के पक्ष में तैयार हो रहा हूँ।
तुम अपने भाई की मौत का बदला लेने जा रहे हो और मैं अपने भाई को बचाने जा रहा हूँ ।

यह सुन कर माधो सिंह ने बदला लेने का विचार त्याग दिया और एक बड़ा गृह कलह टल गया।

पुत्र मोह से बङा भाई का प्रेम अन्यत्र कम ही देखने मिलेगा ऐसा कोई उदाहरण और इसी कारण राजपूत सभी जातियों में अपनी अलग पहचान रखते है ।।

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