Sunday 9 April 2017

रावत रिङमल



रिङमल अपनी नवविवाहिता राणी को छोङकर ईडर की चाकरी मेँ चलेँ गये किसी कारणवश बारह साल तक घर नहीँ आ सके,
तब राणिसाँ ने रावत जी को बुलावा कागद भेजा रावत जी की राणीसाँ को लगा की ईडर की राणियाँ रावत जी से प्रेम करने लगी है !
-ईङरगढ री राणीयाँ आपो कुलरो ल्याँ थाँरे देस म्हाँरो सायबो जल्दी मोकल दयाँ !

तब ईङर की राणियोँ ने वापिस कागद भेजा की ईडरगढ की चाकरी मेँ रिङमल बारह साखोँ के हैँ आप किस रिङमल को बुलाना चाहती हैँ !
-ईडर आमा आमली ईडर दाङम दाख ईडरगढ री चाकरी रिङमल बारह साख !

तब रावतजी की राणीसा ने लिखा
- काका ज्याँ रा कूँपदे भाई भारमल, घोङा ज्याँरा नवलखाँ ओ रावतिया रिङमल !
तब ईडरगढ की राणियो ने रावतजी को राणी का सन्देश दिखायाँ और सम्मान के साथ ईडर से विदा किया !

रावत रिङमल की जागीर खावङा कच्छ गुजरात थी कई मत हैँ की रावत रिङमल ईडर के दिवान थे सोढी रानी और रावत रिङमल के दोहे जग प्रसिध्द है !!

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