Sunday 6 September 2015

राजस्थानी पानी !!

                                                            वीर-रस !



है जहा के अनुठे छन्द, जंग मे लडे कबन्द !
शीश जो कटा तो, आँख वक्ष पे लगी रही !!


इन माथे बाढ़े दह दडा, पोडे करज उतार !
तीण सुरा रो नाम ले, भड बाँधे तलवार !

ओर राजस्थानी पानी का, शानी है ना जहाँ मे कोय !
सैकड़ो के समक्ष, भीड़ गये एक दोय !!

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